किसी भी निश्चित दिशा में यथार्थ पुरुषार्थ की भूमिका हमेशा ही अनिवार्य रहती है। किसी भी निश्चित दिशा में यथार्थ पुरुषार्थ की भूमिका हमेशा ही अनिवार्य रहती है।
भगवान ने सच्चे साधक की नि:स्वार्थ प्रार्थना मंजूर कर ली। भगवान ने सच्चे साधक की नि:स्वार्थ प्रार्थना मंजूर कर ली।
और धीरे धीरे उनका स्थूल आहार स्वत: ही सूक्ष्म व कम होता जाता है। और धीरे धीरे उनका स्थूल आहार स्वत: ही सूक्ष्म व कम होता जाता है।
परंतु क्या जीना ही जिंदा रहने का भाव है ,शायद हाँ या फिर शायद नहीं भी परंतु क्या जीना ही जिंदा रहने का भाव है ,शायद हाँ या फिर शायद नहीं भी
भैया जी और दिल का प्रबंधन भैया जी और दिल का प्रबंधन
सोने के थाल में रखी गंदगी को ताकता हुआ ये सुअर ..सिर्फ सुअर नहीं है। इस कृति को बनाने में रिद्धि ने ... सोने के थाल में रखी गंदगी को ताकता हुआ ये सुअर ..सिर्फ सुअर नहीं है। इस कृति को ...